बहुत याद आती है माँ || मुझे अजमाती है माँ || Bahut Yaad Aati Hai Maa, Mujhe Aazmati Hai Maa
bahut yaad aati hai maa, mujhe aazmati hai maa
bahut yaad aati hai maa, mujhe aazmati hai maa
is mohabbat ne kya kar diya
tujhko chaha to bas, chahata hi gaya
teri chahat ne kya kar diya
bahut yaad aati hai maa, mujhe aazmati hai maa
bahut yaad aati hai maa, mujhe aazmati hai maa
kya keh gayi, aaj teri nazar
aa puchh mujhse, meri hamsafar
tu jo nahi to, jawani hai kya
tujh bin sanam, zindagani hai kya
pal pal machalta hai dil
din raat jalta hai dil
teri ulfat ne kya kar diya
tujhko chaha to bas, chahata hi gaya
teri chahat ne kya kar diya
bahut yaad aati hai maa, mujhe aazmati hai maa
bahut yaad aati hai maa, mujhe aazmati hai maa
taqdir se maine paya tujhe
dhadkan me apni basaya tujhe
ye pyar kya hai, na jana sanam
bas ho gaya main diwana sanam
kehati hai dil ki lagi aankho se tune jo ki
kehati hai dil ki lagi aankho se tune jo ki
us shararat ne kya kar diya
tujhko chaha to bas, chahata hi gaya
teri chahat ne kya kar diya
bahut yaad aati hai maa, mujhe aazmati hai maa
bahut yaad aati hai maa, mujhe aazmati hai maa
बहुत याद आती है माँ || Bahut Yaad aati hai Maa
सभी दुख मिटाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
सभी दुख मिटाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
मैं हूँ कौन मुझ को बताया था माँ ने
मुझे पहला कलमा पढ़ाया था माँ ने
वो ये चाहती थी कि मैं सीख जाऊँ
कि पढ़ पढ़ के क़ुरऔँ सुनाया था माँ ने
ख़ुदा से मिलाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
वो हाथों से अपने खिलाती थी मुझ को
कभी लोरियाँ भी सुनाती थी मुझ को
ये कह कर कि तू थक गया मेरे बेटे
कभी दूध मीठा पिलाती थी मुझ को
थपक कर सुलाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
वो बचपन के दिन अब नहीं आने वाले
बहुत खेलते थे अँधेरे उजाले
मैं अब सोचता हूँ कि पैरों में मेरे
वो ममता की ज़ीर अब कौन डाले
गली से बुलाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
इलाही ! क़ुबूल अब ये मेरी दुआ कर
मेरी नेकियाँ मेरी माँ को ‘अता कर
मेरी माँ को तू बख़्श दे, मेरे मौला !
कि जन्नत में रखना तू रानी बना कर
मुझे अब रुलाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
वो माथा मेरा प्यार से चूमती है
कि अब चाँद जैसी बहू ढूँढती है
मेरे घर को जन्नत बनाने को, अर्क़म !
यहाँ दर-ब-दर, कू-ब-कू घूमती है
कि सेहरा सजाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
सभी दुख मिटाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
सभी दुख मिटाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
मैं हूँ कौन मुझ को बताया था माँ ने
मुझे पहला कलमा पढ़ाया था माँ ने
वो ये चाहती थी कि मैं सीख जाऊँ
कि पढ़ पढ़ के क़ुरऔँ सुनाया था माँ ने
ख़ुदा से मिलाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
वो हाथों से अपने खिलाती थी मुझ को
कभी लोरियाँ भी सुनाती थी मुझ को
ये कह कर कि तू थक गया मेरे बेटे
कभी दूध मीठा पिलाती थी मुझ को
थपक कर सुलाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
वो बचपन के दिन अब नहीं आने वाले
बहुत खेलते थे अँधेरे उजाले
मैं अब सोचता हूँ कि पैरों में मेरे
वो ममता की ज़ीर अब कौन डाले
गली से बुलाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
इलाही ! क़ुबूल अब ये मेरी दुआ कर
मेरी नेकियाँ मेरी माँ को ‘अता कर
मेरी माँ को तू बख़्श दे, मेरे मौला !
कि जन्नत में रखना तू रानी बना कर
मुझे अब रुलाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
वो माथा मेरा प्यार से चूमती है
कि अब चाँद जैसी बहू ढूँढती है
मेरे घर को जन्नत बनाने को, अर्क़म !
यहाँ दर-ब-दर, कू-ब-कू घूमती है
कि सेहरा सजाती है माँ, बहुत याद आती है माँ
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