Mustafa Jane Rehmat pe Lakhon salam lyrics in Hindi
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मुस्तफा जाने रहमत पे लाखों सलाम
शमए बज्मे हिदायत पे लाखों सलाम
शहर-यारे इरम ताजदारे हरम
नौ बहारे शफाअत पे लाखों सलाम
दूरो नज़दीक के सुनने वाले वोह कान
काने ला’ले करामत पे लाखों सलाम
जिन के सज्दे को मेहराबे का’बा झुकी
उन भवों की लताफ़त पे लाखों सलाम,
जिस तरफ़ उठ गई दम में दम आ गया
उस निगाहे इनायत पे लाखों सलाम
पतली पतली गुले कुद्स की पत्तियां
उन लबों की नज़ाकत पे लाखों सलाम
गौस ए आज़म इमामुत्तुका वन्नुका
जल्वए शाने कुदरत पे लाखों सलाम
मेरे उस्ताद मां बाप भाई बहन
अहले वुल्दो अशीरत पे लाखों सलाम
काश महशर में जब उनकी आमद हो और
भेजें सब उन की शौकत पे लाखों सलाम
मुझ से ख़िदमत के कुदसी कहें हां रज़ा
मुस्तफ़ा जाने रहमत पे लाखों सलाम
डाल दी क़ल्ब में अज़मते मुस्तफा
सय्यदी आ’ला हज़रत पे लाखों सलाम
Mustafa Jane Rehmat pe Lakhon salam lyrics in Hindi
मुस्तफा जाने रहमत पे लाखों सलाम
शमए बज्मे हिदायत पे लाखों सलाम
मेहरे चर्खे नुबुव्वत पे रोशन दुरूद
गुले बागे रिसालत पे लाखों सलाम
शहर-यारे इरम ताजदारे हरम
नौ बहारे शफाअत पे लाखों सलाम
शबे असरा के दूल्हा पे दाइम दुरूद
नौशए बज़्मे जन्नत पे लाखों सलाम
अर्श की जैबो ज़ीनत पे अर्शी दुरूद
फ़र्श की तीबो नुज़्हत पे लाखों सलाम
नूरे ऐने लताफ़त पे अल्तफ़ दुरूद
ज़ैबो जैने नज़ाफ़त पे लाखों सलाम
सर्वे नाज़े क़िदम मग्ज़े राज़े हिकम
यक्का फ़ज़ीलत पे लाखों सलाम
नुक्तए सिर्रे वहूदत पे यक्ता दुरूद
मर्कज़े दौरे कसरत पे लाखों सलाम
साहिबे रजअते शम्सो शक्कुल क़मर
नाइबे दस्ते क़ुदरत पे लाखों सलाम
जिस के ज़ेरे लिवा आदमो मन सिवा
उस सज़ाए सियादत पे लाखों सलाम
अर्श ता फ़र्श है जिस के ज़ेरे नगीं
उसकी क़ाहिर रियासत पे लाखों सलाम
अस्ले हर बूदो बहबूद तुख्मे वुजूद
कासिमे कन्ज़े ने’मत पे लाखों सलाम
फत्हें बाबे नुबुव्वत पे बेहद दुरूद
ख़त्मे दौरे रिसालत पे लाखों सलाम
शर्के अन्वारे कुदरत पे नूरी दुरूद
फत्क़े अज़्हारे कुरबत पे लाखों सलाम
बे सहीमो क़सीमो अदीलो मसील
ज़ो हरे फ़र्दे इज्ज़त पे लाखों सलाम
सिर्रे ग़ैबे हिदायत पे ग़ैबी दुरूद
इत्रे जैबे निहायत पे लाखों सलाम
माहे लाहूते खल्वत पे लाखों दुरूद
शाहे नासूते ज़ल्वत पे लाखों सलाम
कन्ज़े हर बे-कसो बे नवा पर दुरूद
हिर्ज़े हर रफ्ता ताक़त पे लाखों सलाम
पर – तवे इस्मे जाते अहृद पर दुरूद
नुस्खए जामिइय्यत पे लाखों सलाम
मत्लए हर सआदत पे असअद दुरूद
मक्तए हर सियादत पे लाखों सलाम
ख़ल्क़ के दाद-रस सब के फ़रियाद-रस
कहफ़े रोज़े मुसीबत पे लाखों सलाम
मुझ से बेकस की दौलत पे लाखों दुरूद
मुझसे बेबस की कुव्वत पे लाखों सलाम
शमए बज़्मे दना-हु में गुम कुन-अना
शाहे मतने हुविय्यत पे लाखो सलाम
इन्तिहाए दुई इब्तिदाए यकी
जम्ए तफ्रीको कसरत पे लाखोंसलाम
कसरते बा’दे क़िल्लत पे अक्सर दुरूद
इज्ज़ते बा’दे ज़िल्लत पे लाखों सलाम
रब्बे आला की ने’मत पे आला दुरूद
हक़ तआला की मिन्नत पे लाखों सलाम
हम गरीबों के आका बेहद दुरूद
हम फ़क़ीरों की सरवत पे लाखों सलाम
फ़रहते जाने मोमिन पे बेहद दुरूद
गैज़े कल्बे जलालत पे लाखों सलाम
सबबे हर सबब मुन्तहाए तलब
इल्लते जुम्ला इल्लत पे लाखों सलाम
मस्दरे मज़हरिय्यत पे अज़हर दुरूद
मज़हरे मस्दरिय्यत पे लाखों सलाम
जिस के जल्वे से मुरझाई कलियां खिलें
उस गुले पाक मम्बत पे लाखों सलाम
कुद्दे बे साया के सायए मर्हमत
जिल्ले मम्दूदे राफ़्त पे लाखों सलाम
ताइ राने कुदुस जिस की हैं कुमरियां
उस सही सर्व क़ामत पे लाखों सलाम
वस्फ़ जिस का है आईनए हक़नुमा
उस खुदा साज़ तल्अत पे लाखों सलाम
जिस के. आगे सरे सरवरां खम रहें
उस सरे ताजे रिफअत पे लाखों सलाम
वोह करम की घटा गेसूए मुश्क-सा
लक्कए अब्रे रात पे लाखों सलाम
लइ-लतुल क़द्र मैं मत-लइल-फज्र हक़
मांग की इस्तिक़ामत प लाखों सलाम
लख़्त लख्ते दिले हर जिगर चाक से
शाना करने की हलत पे लाखों सलाम
दूरो नज़दीक के सुनने वाले वोह कान
काने ला’ले करामत पे लाखों सलाम
चश्मए मेहर में मौजे नूरे जलाल
उस रंगे हाशिमिय्यत पे लाखों सलाम
जिस के माथे शफाअत का सेहरा रहा
उस जबीने सआदत पे लाखों सलाम
जिन के सज्दे को मेहराबे का’बा झुकी
उन भवों की लताफ़त पे लाखों सलाम
उनकी आंखों पे वोह साया अगन मुज़ह
जुल्लए कस्रे रहमत पे लाखों सलाम
अश्क बारिये मुज़्गां पे बरसे दुरूद
सिल्के दुर्रे शफाअत पे लाखों सलाम
मानिये क़द रआ मक़सदे मां तगा
नरगिसे बागे कुदरत पे लाखों सलाम
जिस तरफ़ उठ गई दम में दम आ गया
उस निगाहे इनायत पे लाखों सलाम
नीची आंखों की शर्मो हया पर दुरूद
ऊंची बीनी की रिफअत पे लाखों सलाम
जिन के आगे चरागे क़मर झिल – मिलाए
उन इज़ारों की तुलअत पे लाखों सलाम
उनके खद की सुहूलत पे बेहद दुरूद
उन के क़द की रशाक़त पे लाखों सलाम
जिस से तारीक दिल जग मगाने लगे
उस चमक वाली रंगत पे लाखों सलाम
चांद से मुंह पे ताबां दरख्शां दुरूद
नमक आगीं सबाहत पे लाखों सलाम
ख़त की गिर्दे दहन वोह दिलआरा फबन
सब्ज़ए नहरे रहमत पे लाखों सलाम
रीशे खुश मो’तदिल मरहमे रैशे दिल
हालए माहे नुदरत पे लाखों सलाम
पतली पतली गुले कुद्स की पत्तियां
उन लबों की नज़ाकत पे लाखों सलाम
वोह दहन जिस की हर बात वहूये खुदा
चश्मए इल्मो हिक्मत पे लाखों सलाम
जिस के पानी से शादाब जानो जिनां
उस दहन की तुरावत पे लाखों सलाम
जिस से खारी कूंएं शीरए जां बने
उस जुलाले हलावत पे लाखों सलाम
वोह ज़बां जिस को सब कुन की कुन्जी कहें
उस की नाफ़िज़ हुकूमत पे लाखों सलाम
उस की प्यारी फ़साहत पे बेहद दुरूद
उस की दिलकश बलागत पे लाखों सलाम
उस की बातों की लज्ज़त पे लाखों दुरूद
उस के खुत्बे की हैबत पे लाखों सलाम
वोह दुआ जिस का जोबन बहारे क़बूल
उस नसीमे इजाबत पे लाखों सलाम
जिनके गुच्छे से लच्छे झड़े नूर के
उस सितारों की नुजहत पे लाखों सलाम
जिस की तस्कीं से रोते हुए हंस पड़ें
उस तबस्सुम की आदत पे लाखों सलाम
जिस में नहरें हैं शीरो शकर की रवां
उस गले की नज़ारत पे लाखों सलाम
दोश बर दोश है जिन से शाने शरफ़
ऐसे शानों की शौकत पे लाखों सलाम
हु-जरे अस्वदे का’बए जानो दिल
यानी मोहरे नुबुव्वत पे लाखों सलाम
रूए आईनए इल्म पुश्ते हुज़ूर
पुश्तिये कुस्रे मिल्लत पे लाखों सलाम
हाथ जिस सम्त उठ्ठा गनी कर दिया
मौजे बहरे समाहत पे लाखों सलाम
जिस को बारे दो आलम की परवा नहीं
ऐसे बाजू की कुव्वत पे लाखों सलाम
का’बए दीनो ईमां के दोनों सुतूं
साइदैनें रिसालत पे लाखों सलाम
जिस के हर खत में है मौजे नूरे करम
उस कफे बहरे हिम्मत पे लाखों सलाम
नूर के चश्मे लहराएं दरिया बहें
उंग्लियों की करामत पे लाखों सलाम
ईदे मुश्किल कुशाई के चमके हिलाल
नाखुनों की बिशारत पे लाखों सलाम
रफ्ए ज़िक्रे जलालत पे अरफ़अ दुरूद
शर्हे सद्रे सदारत पे लाखों सलाम
दिल समझ से वरा है मगर यूं कहूं
गुन्चए राजे वहदत पे लाखों सलाम
कुल जहां मिल्क और जव की रोटी गिजा
उस शिकम की क़नाअत पे लाखों सलाम
जो कि अज़्मे शफाअत पे
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