सहारा चाहिए सरकार जिन्दगी के लिए Lyrics -New Naat Lyrics

सहारा चाहिए सरकार जिन्दगी के लिए Lyrics

सहारा चाहिए सरकार जिन्दगी के लिए
सहारा चाहिए सरकार जिन्दगी के लिए
सहारा चाहिए सरकार जिन्दगी के लिए

सहारा चाहिए सरकार ज़िंदगी के लिए | तड़प रहा हूँ मदीने की हाज़िरी के लिए

मेरे आक़ा मदीने बुला लीजिए
मेरे आक़ा मदीने बुला लीजिए

सहारा चाहिए सरकार ज़िन्दगी के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए

तैबा के जाने वाले, जाकर बड़े अदब से
मेरा भी क़िस्सा ए ग़म कहना शाह ए अरब से

कहना के! शाह ए आलम, एक रंज ओ ग़म का मारा
दोनों जहां में जिसका, हैं आप ही सहारा
हालात ए पुर अलम से इस दम गुज़र रहा है
और कांपते लबों से फ़रियाद कर रहा है

पाए गुनाह अपना है दोश पर उठाए
कोई नहीं है ऐसा जो पूछने को आए

भूला हुआ मुसाफ़िर मन्ज़िल को ढूंढता है
तारीकियों में माह ए कामिल को ढूंढता है
सीने में है अंधेरा दिल है शियाह खाना
ये है मेरी कहानी सरकार को सुनाना

कहना मेरे नबी से महरूम हूं खुशी से
कहना मेरे नबी से महरूम हूं खुशी से

सरवर क़ब्र ए ग़म है, अश्कों से आंख नम है
पामाल ए ज़िन्दगी हूं सरकार उम्मती हूं
उम्मत के रहनुमा हो कुछ अर्ज़-ए-हाल सुन लो
फ़रियाद कर रहा हूं मैं, दिल फ़िगार कब से
मेरा भी क़िस्सा ए ग़म कहना मेरे नबी से

हुज़ूर ऐसा कोई इन्तिज़ाम हो जाए
सलाम के लिए हाज़िर ग़ुलाम हो जा

सहारा चाहिए सरकार ज़िन्दगी के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए

मेरा दिल तड़प रहा है मेरा जल रहा है सीना
के दवा वहीं मिलेगी मुझे ले चलो मदीना

नहीं माल ओ ज़र तो क्या है, मैं गरीब हूं तू क्या है
मेरे इश्क़ मुझको ले चल, तू ही जानिबे मदीना

आक़ा न टूट जाए ये दिल का आबगीना
अब के बरस भी मौला रह जाऊं मैं कहीं ना

दिल रो रहा है जिनका, आंसू छलक रहे हैं
उन अश्क़ों का सदक़ा, बुलवाईये मदीना

मेरे आक़ा मदीने बुला लीजिए

मदीने जाऊं, फिर आऊं, दुबारा फिर जाऊं
ये ज़िन्दगी मेरी यूं ही तमाम हो जाए

सहारा चाहिए सरकार ज़िन्दगी के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए

ऐ आज़ीम ए मदीना, जाकर नबी से कहना
शोले हमें आलम से अब जल रहा है सीना

कहना की बढ़ रही है अब दिल की इज़्तिराबी
क़दमों से दूर हूं मैं, क़िस्मत की है खराबी

कहना के दिल में मेरे अरमां भरे हुए हैं
कहना के हसरतों के नश्तर चुभे हुए हैं

है आरज़ू ये दिल की मैं भी मदीना जाऊं
सुल्ताने दो जहां को दाग़े जिगर दिखाऊं
काटूं हज़ार चक्कर, तैबा की हर गली के
यूं ही गुज़ार दूं आयाम ज़िन्दगी के

फूलों पे जां निसारुं कांटों पे दिल को बारुं
ज़र्रो को दूं सलामी, दर की करूं ग़ुलामी
दीवार ओ दर को चूमूं, चौखट पे सर को रख दूं

रौज़े को देखकर मैं रोता रहूं बराबर
आलम के दिल में है ये, हसरत ना जाने कब से

हम सबके है दिल में हसरत ना जाने कब से
मेरा भी क़िस्सा ए ग़म कहना शहे अरब से

सहारा चाहिए सरकार ज़िन्दगी के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए

एक रोज़ होगा जाना, सरकार की गली में
होगा वहीं ठिकाना सरकार की गली में

दिल में नबी की यादें लव पर नबी की नातें
जाना तो ऐसे जाना, सरकार की गली में

या मुस्तफ़ा ख़ुदारा, दो इज़्न हाज़िरी का
कर लूं नज़ारा आकर मैं आपकी गली का

एक बार तो दिखा दो रमज़ान में मदीना
इस बार तो रमज़ान में मदीना
आक़ा हमें दिखा दो रमज़ान में मदीना
बेशक़ बना लो आक़ा मेहमान दो घड़ी का

नसीब वालों में मेरा भी नाम हो जाए
जो ज़िन्दगी की मदीने में शाम हो जाए

सहारा चाहिए सरकार ज़िन्दगी के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए

बुला लो ना ..
बुला लो ना ..

आक़ा आक़ा आक़ा

Naat Khwan: Hafiz Tahir Qadri

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सहारा चाहिए सरकार जिन्दगी के लिए, सहारा चाहिए सरकार जिन्दगी के लिए

Mere aaqa madiny bula lijiye
Mere aaqa madiny bula lijiye

Sahara chahiye sarkar zindagi ke liye…
Tarap raha hoon madine ki haazri k liye..

Tayyaba k jaany waly..Jaa kr bary adab se..
Mera bhi qisaa e gham kehna shah-E-arab se..

Kehna k  shah-e- aalam..Ek ranjo ghum ka mara..
Dono jahan mein jis ka hain aap hi sahara..
Haalat e pur alam se  iss dum guzar raha hai
Or kampty labon se faryaad kr raha hai..

Paaye gunaah apna hai dosh par uthaye..
Koi nahi hai aesa jo pochny ko aaye..

Bola howa musafir manzil ko dondta hai..
Taarikyoo ko maah-e-kamil ko dondta hai..
Seeny mein hai andhera..Dil hai shiyaah khana..
Ye hai meri kahani sarkaar ko sunana..

Kehna mere nabi se maheroom hoo khushi se..
Kehna mere nabi se maheroom hoo khushi se..

Sarwar qabr-e-ghum hai.. ashkon se aankh num hai…
Paamal-e-zindgi hoo sarkar umati hoo..
Ummat k rehnmao kuch arz-e-haal sun lo..
faryaad kr raha ho..main dil figar kb se..
Mera bhi qissa-e-ghum kehna mery nabi se…

Hazoor aesa koi intzamm ho jaye..
Salam k liye hazir ghulaam ho jaye..

Sahara chahiye sarkar zindagi ke liye..
tarap raha hoo madine ki hazri k liye..

Mera dil tarap raha mera jal raha hai seena..
K dawa wahi mily gi mujy le chalo madina..

Nahi maal-o-zar to kya hai..Main greeb hoo yahi na..
Mere ishq mujh ko le chal..Tuhi janb-e-madina..

Aaqa na toot jaye  ye dil ka aabghina….
Ab k baras bhi muala reh jaon main kahin na..

Dil ro raha hai jin ka.. aanso chalak rahy hain..
Un aashqo ka sadqa.. bolwaeye madinaaaaa..

Mere aaaqa madiny bula lijiye……..

Madiny jaaon, phir aaon, dobara phir jaaon..
Ye zinagi meri yonhi tamam ho jaye…..

Sahara chahiye sarkar zindagi ke liye..
Tarap raha hoo madiny ki haazri k liye..

Ae aazm-e-madina.. ja kr nabi se kehna…
Sody humen alam se.. ab jal raha hai seena..

Kehna k bar rahi, ab dil ki iztrabi..
Qadmo se door hoo mai, qismat ki hai khrabi…

Kehna k dil me mere arman bhary howe hain
Kehna k hasrtoon k nashtar choby howe hain

Hai aarzo ye dil ki main bhi madina jaao..
Sultan-e-do jahan ko..Daaghy jigar dikhao..
Kaato hazar chakar, tayyaba ki har gali k..
Yonhi guzaar do aayam zindgi k..

Pholon py jaan nisaron.. kanton py dil ko waaron..
Zarron ko doon salami..  dar ki karon ghulami..
Dewaro dar ko chomon.. chokhat py sar ko rakh doon..

Rozy ko dekh kr main, rota raho brabar..
Aalam k dil mein hai ye, hasrat najaany kab se…
hum sab k hai dil mein  hasrat najany kab se..
Mera bhi qisa e ghum kehna shah-e-arab se…

Sahara chahiye sarkar zindagi ke liye..
Tarap raha hoo madiny ki haazri k liye..

Ek roz ho ga jaana.. sarkar ki gali mein..
Ho ga wahi thikana.. sarkar ki gali mein..

Dil mein nabi ki yaaden, lab par nabi ki naaten..
Jana to aese jana, sarkar ki gali me..

Ya mustafa khudara.. do izn haazri ka..
Kr lo nazara aakr.. main ap ki gali ka..

Ek baar to dikha do ramzan mein madina..
Iss bar to dikha do ramzan mein madina..
Aaqqa humen dikha do ramzan me madina..
Beshak bana lo aaqa mehman do ghari ka..

Naseeb walo mein mera bhi naam ho jaye..
Jo zindgi ki madiny mein shaam ho jaye..

Shahra chahiye sarkar zindagi k liye..
Tarap raha hoo madiny ki haazri k liye..

Bula lo na…….. bula lo na…………

Aaqaq aaqa aqqa……… ……………..

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