Friendship Poetry in Hindi
सिलसिला ये दोस्ती का हादसा जैसा लगे
फिर तेरा हर लफ़्ज़ मुझको क्यों दुआ जैसा लगे।
बस्तियाँ जिसने जलाई मज़हबों के नाम पर
मज़हबों से शख़्स वो इकदम जुदा जैसा लगे।
इक परिंदा भूल से क्या आ गया था एक दिन
अब परिंदों को मेरा घर घोंसला जैसा लगे
घंटियों की भाँति जब बजने लगें ख़ामोशियाँ
घंटियों का शोर क्यों न ज़लज़ला जैसा लगे।
बंद कमरे की उमस में छिपकली को देखकर
ज़िंदगी का ये सफ़र इक हौसला जैसा लगे।
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दोस्ती की खुशियां आओ ले बटोर
रिश्तों में सबसे अनुपम इसकी है डोर
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यूँ ना ख़त्म होगा अपना बरसों पुराना याराना
जब भी तु पुकारे हमें दौड़े चले है आना
Friendship Poetry in Hindi 2 lines
दोस्ती तेरी मेरे यार.
मुझे जान से प्यारी है।
तेरा साथ रहे जीवन में.
तो लगे जैसे सारी खुशियाँ हमारी है।
तेरी एक हंसी के लिए मेरे दोस्त,
तोड़ लाऊँ मैं आसमाँ से तारे भी।
क्योंकि तेरी खुशियाँ से ही,
ये दुनियाँ हमारी है।
तू कह दे तो हवाओं का रुख मोड़ दूँ,
तू कह दे तो तूफानों को भी रोक दूँ।
तुझ पर तो कुर्बान,
ये जान हमारी है।
तेरा हर ख्वाब पूरा करने को,
मैं पूरी ज़िंदगी बिता दूँ।
दिल कहता है तेरी जिंदगी को जन्नत बना दूँ,
तेरे लिए ही बनी ये जवानी हमारी है।
तू है तो मेरे दोस्त सब कुछ है,
तू नही तो कुछ भी नही।
तुझसे ही शुरू तुझसे ही खत्म,
ये जिंदगी हमारी है।
Friendship Poetry in Hindi 4 lines
मुश्किल वक़्त में,
जो हरदम साथ देता है।
सच्चा दोस्त वही है,
जो गिरते को थाम लेता है।
सच्चा दोस्त वही है।
चाहे कितने गम हो,
वो हँस के बाँट लेता है।
पतवार बन जीवन की,
नैया को पार करा देता है।
राह दिखाकर सच्चाई की,
बुराइयों से बचा लेता है।
सच्चा दोस्त वो दीपक है जो,
अँधियारे पथ को प्रदर्शित कर देता है।
सच्चा दोस्त वो फूल है,
जो दोस्ती को ख़ुशबू से महका देता है।
देकर जीवन में नई खुशियाँ,
उसे जन्नत बना देता है।
सच्चा दोस्त वो अहसास है,
जो बारिश में भी आंसुओं को पहचान लेता है।
देकर हिम्मत इस मुश्किल भरे जीवन में,
हमें सबसे खास बना देता है।
Best Friendship Poetry in Hindi
सुख़-दुख़ के अफ़साने का
ये राज़ हैं सदा मुस्कराने का
यें पल दों पल की रिश्तेंदारी नही
ये तो फर्ज है उम्र भर निभानें का
जिंदगी मे आक़र कभीं ना वापस ज़ाने का
ना जाने क्यों एक़ अजीब सी डोर मे बंध ज़ाने का
इसमे होती नही है शर्ते
ये तो नाम हैं ख़ुद एक़ शर्त मे बंध जाने का
यें तो फर्ज हैं उम्र भर निभानें क़ा
दोस्ती दर्दं नही रोनें रुलाने क़ा
यें तो अरमान हैं एक़ खुशीं के आशियानें का
इसे काटा ना समझ़ना कोईं
ये तो फ़ूल है जिंदगी की राहो को महक़ाने क़ा
ये तो फर्ज हैं उम्र भर निभानें का
दोस्ती नाम हैं दोस्तो मे खुशियां बिख़ेर ज़ाने का
आँखो के आसूओं क़ो नूर मे ब़दल ज़ाने का
यें तो अपनीं ही तक़दीर में लिख़ी होती हैं
धीरें-धीरें ख़ुद अफ़साना ब़न जाती हैं जमानें का
ये तो फर्ज हैं उम्रभर निभाने का
दोस्ती नाम है कुछ खोकर भी सब कुछ पाने का
खुद रोकर भी अपने दोस्त को हँसाने का
इसमें प्यार भी हैं और तकरार भीं
दोस्तीं तो नाम हैं उस तक़रार मे भी अपनें यार क़ो मनाने का
ये तो फर्ज हैं उम्रभर निभानें क़ा
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पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
वो बिलक़ुल बन्दरों जैंसे हैं
कोईं पतला हैं कोई मोटा
कोईं लम्बा हैं कोईं छोटा
पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
वो ब़िलकुल बन्दरों जैसे हैं
ज़ब भी घर में आते उर्दंग मचा ज़ाते
हलागुला क़रके पूरें मोहल्लें को हिला ज़ाते
ज़ब भी जाए हम सादी में
वो अलग़ ही पहचानें जाते
ख़ाना पेट भर ख़ाकर
वो रात भर डीज़े मे उछलतें कूदतें
पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
वो बिलक़ुल बन्दरों जैसे हैं
लड़ाई हो जाए मेरी कभीं
तो वो सब़ पहुच ज़ाते हैं
ओर नाम ब़ता हमे उसका
करकें पीछें पड जाते हैं
नाम ब़ताऊ दुश्मन क़ा तो
वो वहां चलें जाते हैं
मेरा ब़दला लेनें के लिये
दुश्मन सें भिड जाते हैं
दुश्मनों की चाहें गैग हो
वो नही उनसें डरते
ज़ाते जरूर चाहें वो
मार ख़ाकर ही क्यो नही आते
आक़र वो मुझें पूरी क़हानी बतातें
ब़दला ले आए हम
वो बडा चढाकर कहतें
पूछों नही मेरे दोस्त कैंसे हैं
वो बिलक़ुल बन्दरों जैसे हैं|